एक रात दो बजे बहुत तेज़ बारिश हो रही थी तो संता ने एक घर की घंटी बजाई और पूछा;
संता: भाई साहब मेहरबानी करके धक्का लगा देंगे क्या ?
आदमी नींद में था इसलिए मना कर दिया और अन्दर आ गया परन्तु फिर उसे एहसास हुआ की कभी वो खुद बारिश में फंस जाये और कोई उसकी मदद न करे तो?
यह सोच कर वह उठा और बाहर जा कर बोला;
आदमी: क्या तुम्हे अभी भी धक्का चाहिए?
संता की आवाज़ आई: हाँ!
आदमी: ठीक है पर तुम हो कहाँ?
संता: यहाँ गार्डन में झूले पर!
संता: भाई साहब मेहरबानी करके धक्का लगा देंगे क्या ?
आदमी नींद में था इसलिए मना कर दिया और अन्दर आ गया परन्तु फिर उसे एहसास हुआ की कभी वो खुद बारिश में फंस जाये और कोई उसकी मदद न करे तो?
यह सोच कर वह उठा और बाहर जा कर बोला;
आदमी: क्या तुम्हे अभी भी धक्का चाहिए?
संता की आवाज़ आई: हाँ!
आदमी: ठीक है पर तुम हो कहाँ?
संता: यहाँ गार्डन में झूले पर!
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