एक बार संता की पत्नी उसकी कार और घर के सारे पैसे लेकर उसके दोस्त बंता के साथ भाग जाती है जिसके बाद संता मानसिक अवसाद से पीड़ित हो चिकित्सक के पास जाता है जो कि उसे मनोचिकित्सक के पास भेज देता है!

मनोचिकित्सक के पास जा कर संता उसे अपनी सारी परेशानी बताने के बाद कहता है की वह अब जीना नहीं चाहता क्योंकि जीवन अब उसे व्यर्थ लगता है!

यह सुन मनोचिकित्सक ने कहा इतनी जल्दी हिम्मत मत हारो और पूर्ण रूप से अपने काम में डूब जाओ क्योंकि अब तुम्हारा कर्म ही तुम्हारी पूजा है!

आगे मनोचिकित्सक संता से पूछता है वैसे तुम काम क्या करते हो?

संता ने जवाब दिया जी मैं गटर साफ़ करता हूँ!

Post a Comment

Previous Post Next Post