तीन अपराधी जेल से भाग गए एक मद्रासी एक गुजराती और संता।

जेल से भागने के बाद वे काफी दूर निकल आये थे जब उन्हें लगा कि काफी दूर आ गए है तो तीनों एक जगह आराम करने लगे तभी उन्हें दूर कुछ लोग आते हुए नजर आये उन्होंने आपस में कहा हो नो हो ये पुलिस वाले है जो हमारा पीछा कर रहे है।

वे तीनों अफरातफरी में ऊपर पहाड़ी की तरफ चढ़ने लगे अभी थोड़ा दूर ही गए थे कि उन्हें वहां एक झोपड़ा नजर आया और वे तीनों उस में घुस गए।

पुलिस उनका पीछा करते करते वहां भी पहुँच गयी तो तीनों ने अपने आप को बड़ी बड़ी बोरियों छुपा लिया पुलिस वाले ने सिपाई से कहा देखो तो जरा इन बोरियों में क्या है?

सिपाई ने पहली बोरी को टटोला और एक जोर की लात मार दी उस बोरी में मद्रासी था उसने ... बाऊं.....बाऊं की आवाज की।

सिपाई ने कहा साहब इसमें कुत्ता है।

दूसरी बोरी पर भी लात मारी तो उसमें गुजराती था उसने मिं...आऊं मिं...आऊं की आवाज की।

सिपाई ने कहा इसमें तो बिल्ली है साहब।

फिर उसने तीसरी बोरी पर लात मारी जिसमें संता था उसने एक.. दो..तीन..चार लातें मारी पर उसमें से कोई आवाज नहीं आयी उसने फिर उस पर लातें मारनी शुरू कर दी और अंत में जब लातें सहन नहीं हुई तो बोरी के अन्दर से संता ने कहा आलू हूँ कम्बखत आलू।

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